Monday 25 July 2011

यादों का शिवलिंग

आती हैं
लौट लौटकर

शिशिर के
कुहासे में सिमटी
यादें

आज भी
वह शिवलिंग
बनता है
हर साल मुझ में

देह उत्सव
हो जाती है

रोम रोम बाती सा
जलता है

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