Thursday 28 July 2011

10.

एक दिन
स्वाति बूंद गिरी
उसकी आंख में

जान गई
समंदर को

रोजाना आती
जल की सतह पर

खोजती
समंदर में समाया
एक और समंदर

11.

तू भर ले
अपनी आंख में

कुछ बीज

प्रलय के
इस उत्पात में
मैंने भी

कुछ बचाया है

12.

नदी रुक
जरा थम

सुन
समंदर में नहीं
समां मछली की
आंख में

वह समंदर
खोजती जिसे

वहीँ मिलेगा
तुझे

13.

तू आंख से नहीं
बोल मुख से

तेरा अबोलापन
जानने नहीं देता

समंदर के अर्थ
मुझे

14.

नदी सूखती रही

समंदर लगाता रहा
ठहाके

उसकी आंख
भर रही नदी

फिर से

15.

जहाँ दुनिया है

है वहाँ
मछली की आंख

दुनिया और मेरी
नाव के बीच

उसकी झिल्ली है

16.

समंदर में रहकर
उसने
बचा लिया

वह

जो बचा ना सकी
कभी स्त्रियां

काश
स्त्री मछली
हो गई होती



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