कूक रही थीअंतस कीकोयल बेहद खूबसूरत रचना..... शुभकामनाएं.
आदरणीया वत्सला जी सादर सस्नेहाभिवादन !सुमधुर स्मृतियां !!…वे आम्रबौरआज भीमहक रहे हैंमुझमें बहुत सुंदर पंक्तियां ! बहुत सुंदर रचना !! ब्लॉगजगत में आपको पा'कर प्रसन्नता है । अब आपकी सुंदर रचनाएं पढ़ने के लिए वर्षों किसी अवसर विशेष की प्रतीक्षा तो नहीं करनी पड़ेगी :) आपकी पहली पोस्ट है … हार्दिक स्वागत और शुभकामनाएं ! -राजेन्द्र स्वर्णकार
कूक रही थी
ReplyDeleteअंतस की
कोयल
बेहद खूबसूरत रचना..... शुभकामनाएं.
आदरणीया वत्सला जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
सुमधुर स्मृतियां !!
…वे आम्रबौर
आज भी
महक रहे हैं
मुझमें
बहुत सुंदर पंक्तियां ! बहुत सुंदर रचना !!
ब्लॉगजगत में आपको पा'कर प्रसन्नता है । अब आपकी सुंदर रचनाएं पढ़ने के लिए वर्षों किसी अवसर विशेष की प्रतीक्षा तो नहीं करनी पड़ेगी :)
आपकी पहली पोस्ट है … हार्दिक स्वागत और शुभकामनाएं !
-राजेन्द्र स्वर्णकार